अगर परछाई कद से और बाते औकात से बड़ी होने लगे तो समझ लेना सूरज डूबने वाला है !!
जो रोशनी में खड़े हैं वो जानते ही नहीं,
हवा चले तो चरागों की जिंदगी क्या है।
बुझने से जिस चिराग ने इंकार कर दिया,
चक्कर लगा रही है हवा उसी के आस-पास
जबान चलने लगी, लब-कुशाई करने लगे
नसीब बिगड़ा तो गूंगे भी बुराई करने लगे
हमारे कद के बराबर न आ सके जो लोग
वो हमारे पांव के नीचे खुदाई करने लगे
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