Tuesday 17 September 2019

ये दुनिया

अगर परछाई कद से और बाते औकात से बड़ी होने लगे तो समझ लेना सूरज डूबने वाला है !!

जो रोशनी में खड़े हैं वो जानते ही नहीं,
हवा चले तो चरागों की जिंदगी क्या है।

बुझने से जिस चिराग ने इंकार कर दिया,
चक्कर लगा रही है हवा उसी के आस-पास

जबान चलने लगी, लब-कुशाई करने लगे
नसीब बिगड़ा तो गूंगे भी बुराई करने लगे
हमारे कद के बराबर न आ सके जो लोग
वो हमारे पांव के नीचे खुदाई करने लगे

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