Tuesday, 17 September 2019

ज़िंदगी

चुप रहना ही बेहतर है, जमाने के हिसाब से !
धोखा खा जाते है, अक्सर ज्यादा बोलने वाले !

मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग,
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता

मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
अब इस से ज्यादा मैं तेरा हो नहीं सकता
दहलीज पे रख दी हैं किसी शख्स ने आंखे
रोशन तो कभी इतना दिया हो नहीं सकता
-मुनव्वर राणा

मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,
अच्छा नही, इतना बड़ा हो जाना.

अक्सर वही “दीये” हाथों को जला देते हैं,
जिसको हम हवा से बचा रहे होते हैं.

मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगर
सफ़र सफ़र है मेरा इंतिज़ार मत करना
- साहिल सहरी नैनीताली

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियां जलाने में

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा

कोई हाथ भी न मिलाएगा
जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है
जरा फासले से मिला करो

बेदिली क्या यूं ही दिन गुजर जाएंगे
सिर्फ जिंदा रहे हम तो मर जायेंगे

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