Friday 20 September 2019

प्रेरणादायक


आलपिन📌 सारे कागज़ को
          जोड़कर रखना
                   चाहती है
    लेकिन वह हर कागज़ को
              चुभती है

        इसी प्रकार जो व्यक्ति
     सभी को जोड़कर रखना
         चाहता है वह भी सभी की
             आँखों में चुभता है
   "कोई अगर आपके अच्छे कार्य पर सन्देह करता है ...
तो करने देना, क्योकि...
शक़, सदा सोने की शुद्धता पर किया जाता है...
कोयले की कालिख पर नही...!"

रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए,
अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुए

Tuesday 17 September 2019

गम

उदास कर देती है हर रोज...ये शाम मुझे !
लगता है जैसे कोई भूल रहा हो मुझे आहिस्ता आहिस्ता !!

बहुत अन्दर तक तबाही मचाता है !
वो आंसू जो आँखों से बह नहीं पाता !!

मै खाने पे आऊंगा मगर पिऊंगा नहीं साकी,
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती…

गम से हो रूबरू तो मिट जाते हैं गम
मुश्किलें इतनी पड़ी मुझपे कि आसान हो गईं।

कभी साथ बैठो…
तो बयां दर्द भी हो…
अब यूँ दूर से पूछोगे…
तो ख़ैरियत ही कहेंगे !!!

ये दुनिया

अगर परछाई कद से और बाते औकात से बड़ी होने लगे तो समझ लेना सूरज डूबने वाला है !!

जो रोशनी में खड़े हैं वो जानते ही नहीं,
हवा चले तो चरागों की जिंदगी क्या है।

बुझने से जिस चिराग ने इंकार कर दिया,
चक्कर लगा रही है हवा उसी के आस-पास

जबान चलने लगी, लब-कुशाई करने लगे
नसीब बिगड़ा तो गूंगे भी बुराई करने लगे
हमारे कद के बराबर न आ सके जो लोग
वो हमारे पांव के नीचे खुदाई करने लगे

हम-तुम

मै तेरा कुछ भी नहीं हूँ, मगर इतना तो बता !
देखकर मुझको तेरे जेहन में आता क्या है !!

आज कुछ और नहीं बस इतना सुनो !
मौसम हसीन है लेकिन तुम जैसा नहीं !!

एक तुम भी ना कितनी जल्दी सो जाते हो…
लगता है इश्क को तुम्हारा पता देना पड़ेगा.!!

जिसकी याद मे हमने खर्च की जिन्दगी अपनी
वो शख्श आज मुझको गरीब कह के चला गया

इश्क़ कर लीजिये बेइंतिहा किताबों से
एक यही हैं जो अपनी बातों से पलटा नहीं करतीं !!

मर्जी से जीने की बस ख्वाहिश की थी मैंने !
और वो कहते हैं कि खुदगर्ज़ बन गए हो तुम !!

माना कि उस शख्स में, बहुत-से ऐब हैं मगर !
मेरे दिल ने भी उसको, यूँ ही तो चाहा नहीं होगा !!

कमजोर पड गया है, मुझ से तुम्हारा ताल्लुक I
या फिर कहीं और सिलसिले मजबुत हो गये है I

नामुमकिन है इस दिल को समझ पाना !
दिल का अपना अलग ही दिमाग होता है !!

ज़िन्दगी में तेरी यादों को भुला दूं कैसे
रात बाकि है चिरागों को बुझा दूं कैसे

नींद आए या ना आए, चिराग बुझा दिया करो,
यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता…

वो सरफिरी हवा थी संभालना पड़ा मुझे
मैं आख़िरी चिराग था जलना पड़ा मुझे

वो लिखते हैं हमारा नाम मिटटी में , और मिटा देते हैं ,
उनके लिए तो ये खेल होगा मगर ,हमें तो वो मिटटी में मिला देते हैं 

अब इत्र भी मलो तो मुहब्बत की बू नहीं।
वो दिन हवा हुए कि पसीना गुलाब था।।

ज़िंदगी

चुप रहना ही बेहतर है, जमाने के हिसाब से !
धोखा खा जाते है, अक्सर ज्यादा बोलने वाले !

मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग,
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता

मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
अब इस से ज्यादा मैं तेरा हो नहीं सकता
दहलीज पे रख दी हैं किसी शख्स ने आंखे
रोशन तो कभी इतना दिया हो नहीं सकता
-मुनव्वर राणा

मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,
अच्छा नही, इतना बड़ा हो जाना.

अक्सर वही “दीये” हाथों को जला देते हैं,
जिसको हम हवा से बचा रहे होते हैं.

मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगर
सफ़र सफ़र है मेरा इंतिज़ार मत करना
- साहिल सहरी नैनीताली

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियां जलाने में

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा

कोई हाथ भी न मिलाएगा
जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है
जरा फासले से मिला करो

बेदिली क्या यूं ही दिन गुजर जाएंगे
सिर्फ जिंदा रहे हम तो मर जायेंगे

जोश

वक़्त के कारवां से आगे हूँ , बेरहम आसमान से आगे हूँ
हूँ कहाँ ये तो खुदा जाने , पर था कल जहाँ वहां से आगे हूँ 

हथेली पर रखकर नसीब,
हर शख्स अपना मुकद्दर ढूँढ़ता है,
सीखो उस समन्दर से,
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है….

एक न एक दिन हासिल कर लूँगा मंजिल अपनी, ठोकरें जहर तो नहीं जो खाकर मर जाऊंगा.

सही वक्त पर करवा देंगे हदों का अहसास...
कुछ तालाब खुद को समंदर समझ बैठे हैं!!

हवा से कह दो कि खुद को आजमा के दिखाये.
बहुत चिराग बुझाती है, एक जला के दिखाये.

ख़्वाब टूटे है मगर हौसले अभी ज़िंदा है
मैं वो शक्स हूँ जिससे मुश्किलें भी शर्मिंदा है !

हम भी दरिया हैं, अपना हुनर मालूम है हमें
जिधर भी चल देंगे रास्ता हो जाएगा